1 2024-25 में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.6% अनुमानित : विश्व बैंक
विश्व बैंक ने 2 अप्रैल 2024 को जारी अपनी द्वि-वार्षिक रिपोर्ट “साउथ एशिया डेवलपमेंट अपडेट” में 2024-25 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अपने विकास दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत कर दिया है। पिछली रिपोर्ट में, वित्त वर्ष 25 (2024-25)में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए 6.4% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया था। विश्व बैंक ने भारतीय आर्थिक विकास दर को उन्नत करने के कारण के रूप में अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक निवेश में वृद्धि का हवाला दिया।हालाँकि, विश्व बैंक ने 2023-24 के लिए 7.5% की वृद्धि दर का अनुमान लगाया है, जो राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 7.6 प्रतिशत से कम है।
2 यूएन मुख्यालय में मनाया चार अरब लोगों को भोजन परोसने का जश्न
2 अप्रैल 2024 को अक्षय पात्र फाउंडेशन ने चार अरब थाली परोसने की ऐतिहासिक उपलब्धि प्राप्त की है। अक्षय पात्र फाउंडेशन की इस उपलब्धि का जश्न संयुक्त राष्ट्र में भी मनाया गया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने 2 अप्रैल 2024 को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। संयुक्त राष्ट्र में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन विषय: खाद्य सुरक्षा में उपलब्धि: सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में भारत की प्रगति‘ रखा गया था। इस आयोजन में भारत की खाद्य सुरक्षा और पोषण प्राप्त करने की दिशा में नई-नई रणनीतियों, नीतियों और उपलब्धियों को दर्शाया गया।
3 विश्व के शीर्ष 10 अरबपतियों की सूची में मुकेश अंबानी एकमात्र भारतीय: फोर्ब्स
हाल ही में जारी “फोर्ब्स की 38वीं वार्षिक विश्व अरबपतियों की सूची 2024” के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के अध्यक्ष और सह प्रबंध निदेशक (सीएमडी) मुकेश अंबानी एकमात्र भारतीय हैं जिन्होंने दुनिया के शीर्ष 10 अरबपतियों की सूची में जगह बनाई है। इस सूची के शीर्ष पर फ्रांसीसी लक्जरी कंपनी एलवीएमएच के मालिक बर्नार्ड अरनॉल्ट और उनका परिवार हैं जबकि मुकेश अंबानी 9वें स्थान पर है। 37 साल की उम्र में ज़ेरोधा के सह-संस्थापक निखिल कामथ फोर्ब्स की सूची में सबसे कम उम्र के भारतीय अरबपति हैं। फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में 77 देशों के 2781 अरबपति हैं। अरबपतियों की कुल संपत्ति 14.2 ट्रिलियन डॉलर थी, जो पिछले साल के मुक़ाबले 2 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि दर्शाता है। सबसे ज्यादा अरबपति संयुक्त राज्य अमेरिका से हैं ।अरबपतियों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या चीन से थी। तीसरे सबसे ज्यादा अरबपति भारतीय नागरिक थे।
4 पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए
भारत के पूर्व प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह राज्यसभा से सेवानिवृत्त हुए, इस सेवानिवृत्ति के साथ ही उच्च सदन में उनके तीन दशक लंबे कार्यकाल की समाप्ति हो गई। 2004 से 2014 तक भारत के दो बार प्रधान मंत्री रहे मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर, 1932 को हुआ था। वह एक अर्थशास्त्री, शिक्षाविद्, नौकरशाह और राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1982 से 1985 तक भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में कार्य किया और पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री भी थे। 1991 में भारत में महत्वपूर्ण आर्थिक सुधारों की शुरुआत करने के लिए उन्हें व्यापक रूप से श्रेय दिया जाता है। एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के रूप में देश की प्रगति में उनका योगदान उल्लेखनीय है। मनमोहन सिंह के राजनीतिक करियर को देखा जाए तो डॉ. सिंह 1991 से भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्य सभा) के सदस्य रहे।
5 अजय सिंह के स्थान पर संजय नायर ने एसोचैम के अध्यक्ष का पदभार संभाला
2 अप्रैल, 2024 सोरिन इन्वेस्टमेंट फंड के चेयरमैन संजय नायर ने 2024-25 के लिए उद्योग मंडल एसोचैम के अध्यक्ष का पदभार संभाला है। संजय नायर ने स्पाइसजेट के अध्यक्ष और एमडी अजय सिंह का स्थान लिया। अजय सिंह ने चैंबर के अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया। इससे पूर्व अजय सिंह स्पाइसजेट के प्रमुख थे। अजय सिंह बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी हैं।
6 लुईस मोन्टेनेग्रो ने ली पुर्तगाल के प्रधानमंत्री पद की शपथ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्री लुईस मोन्टेनेग्रो को पुर्तगाल के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने पर बधाई दी है। सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में श्री मोदी ने कहा है कि वे भारत और पुर्तगाल के लम्बे समय से चले आ रहे द्विपक्षीय संबंधों को आगे और मजबूत करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने के इच्छुक हैं। लुईस अल्पमत सरकार का नेतृत्व करेंगे, जिसे देश की संसद की खंडित प्रकृति के कारण कानून पारित करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
7 हरियाणा, यूपी से 64 भारतीय कामगारों का प्रथम बैच इजराइल के लिए हुआ रवाना
इज़राइल में संघर्ष के दौरान नौकरियों के लिए जाने वाले भारतीय निर्माण श्रमिकों का प्रथम बैच 2 अप्रैल 2024 को रवाना हुआ। इसे इज़राइली राजदूत नाओर गिलोन और सरकारी अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इज़रायली सरकार ने नवंबर 2023 में निर्माण श्रमिकों के लिए तत्काल अनुरोध किया था। इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाने पर चर्चा की थी।
8 सरकार ने कालानमक चावल के निर्यात की अनुमति दी
भारत सरकार ने भारत से 1000 टन तक कालानमक चावल के निर्यात की अनुमति दी है। अब तक कालानमक के निर्यात पर प्रतिबंध था। भारत सरकार ने छह कस्टम स्टेशन भी नामित किए हैं जिनके माध्यम से कालानमक चावल का भारत से निर्यात किया जा सकता है। सरकार द्वारा इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से पहले 2021-22 में भारत ने लगभग 21 टन कालानमक चावल का निर्यात किया था। कालानमक एक गैर-बासमती सुगंधित चावल की किस्म है जो मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में उगाई जाती है। कालानमक चावल को भगवान बुद्ध का उपहार भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान बुद्ध जब ज्ञान प्राप्ति के बाद श्रावस्ती क्षेत्र के दौरे पर आये थे तो उन्होंने लोगों को चावल की यह किस्म उपहार में दी थी।
9 विक्रम-1 स्टेज-2 का सफल परीक्षण
स्काईरूट एयरोस्पेस, एक अग्रणी भारतीय अंतरिक्ष-तकनीकी कंपनी द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रणोदन में विक्रम-1 अंतरिक्ष प्रक्षेपण यान के स्टेज-2 के सफल परीक्षण फायरिंग के साथ एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त की जिसे कलाम-250 के नाम से भी जाना जाता है, जिसको श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश में परीक्षण किया गया। चरण-2 प्रक्षेपण यान को वायुमंडलीय चरण से बाह्य अंतरिक्ष के गहरे निर्वात में स्थानांतरित करने, इसे सटीकता एवं दक्षता के साथ अपने गंतव्य की ओर ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कलाम-250 ठोस ईंधन के साथ एक उच्च शक्ति वाले कार्बन मिश्रित रॉकेट मोटर के साथ ही एक उच्च प्रदर्शन वाले एथिलीन-प्रोपलीन-डायन टेरपोलिमर (EPDM) थर्मल प्रोटेक्शन सिस्टम (TPS) का उपयोग करता है। इसमें सटीक थ्रस्ट वेक्टर नियंत्रण के लिये कार्बन एब्लेटिव फ्लेक्स नोजल की भी सुविधा है। नवंबर 2022 में विक्रम-S के सबऑर्बिटल अंतरिक्ष प्रक्षेपण के पश्चात् विक्रम-1 भारत का पहला निजी कक्षीय रॉकेट प्रक्षेपण है।
10 अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START) 2024
हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक अंतरिक्ष विज्ञान कार्यक्रम, अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी जागरूकता प्रशिक्षण (START), 2024 की घोषणा की। यह अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एक प्रारंभिक स्तर का ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम है। इसके तहत भारत के विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले भौतिक विज्ञान (भौतिकी और रसायन विज्ञान) और प्रौद्योगिकी (जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर विज्ञान, मैकेनिकल) के स्नातक तथा स्नातकोत्तर छात्रों को प्रशिक्षण के लिये चयनित होने का अवसर प्रदान किये जाएगा। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आकर्षित करना है।
11 बिंदियारानी देवी ने आईडबल्यूएफ़ विश्व कप में कांस्य पदक जीता
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल 2022 की रजत पदक विजेता बिंदियारानी देवी ने 2 अप्रैल 2024 को थाईलैंड के फुकेत शहर में आयोजित आईडबल्यूएफ़ विश्व कप 2024 में कांस्य पदक जीता। हालांकि, टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू, 49 किलोग्राम भारोत्तोलन वर्ग में 12वें स्थान पर रहीं। इस प्रतियोगिता में कोई पदक न मिलने के बावजूद मीराबाई चानू पेरिस ओलंपिक 2024 के लिए क्वालीफाई करने वाली एकमात्र भारतीय भारोत्तोलक बनीं। आईडबल्यूएफ़ विश्व कप 2024 में सिर्फ दो भारतीय भारोत्तोलक ,बिंदियारानी देवी और मीराबाई चानू ने भाग लिया। अंतर्राष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ (आईडबल्यूएफ़) द्वारा आईडबल्यूएफ़ विश्व कप 2024 का आयोजन 31 मार्च से 11 अप्रैल 2024 तक फुकेत, थाईलैंड में किया जा रहा है। विश्व कप में पुरुष और महिला दोनों भारोत्तोलक भाग ले रहे हैं।
12 वैकोम सत्याग्रह के 100 वर्ष
हाल ही में भारत द्वारा वैकोम सत्याग्रह की शताब्दी मनाई गई, जो भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण आंदोलन था जिसने अस्पृश्यता एवं जाति उत्पीड़न को चुनौती दी थी। वैकोम सत्याग्रह, एक अहिंसक आंदोलन था जो एक सदी पहले केरल के त्रावणकोर रियासत के वैकोम में 30 मार्च 1924 से 23 नवंबर 1925 तक चला था। यह आंदोलन अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव की गहरी प्रथाओं के विरुद्ध एक ज़बरदस्त विरोध के रूप में खड़ा हुआ, जिसने लंबे समय से भारतीय समाज को त्रस्त कर रखा था। यह आंदोलन उत्पीड़ित वर्ग के लोगों, विशेषकर एझावाओं के वैकोम महादेव मंदिर के आस-पास की सड़कों पर चलने पर प्रतिबंध के कारण शुरू हुआ था। मंदिर के मार्ग खोलने हेतु त्रावणकोर की महारानी रीजेंट के अधिकारियों के साथ बातचीत करने के प्रयास किये गए। यह भारत में पहला मंदिर प्रवेश आंदोलनों था, जिसने पूरे देश में इसी तरह के आंदोलनों के लिये मंच तैयार किया। इसका उदय राष्ट्रवादी आंदोलन के साथ हुआ और इसका उद्देश्य राजनीतिक आकांक्षाओं के साथ-साथ सामाजिक सुधार में वृद्धि करना था।