हरियाणा राज्य का गठन

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हरियाणा राज्य का नामकरण

  • हरियाणा राज्य का गठन 1 नवम्बर, 1966 को हुआ था। शब्द मूलत: एक वैदिक शब्द हरयाणा से बना है।
  • मनुस्मृति में हरियाणा राज्य, जो सरस्वती ब दृषद्धती नदियों के मध्य स्थित क्षेत्र था, को बह्मावर्त कहा गया है।
  • महाभारत काल मे कौरववंशी सम्राट कुरु के नाम पर इस क्षेत्र को कुरु जनपद कहा जाने लगा। उत्तरी हरियाणा को कुरुक्षेत्र और दक्षिण को कुरु जागल भी कहा जाता है। यौधेय काल मे रोहतक उपक्षेत्र को बहुधान्यक कहा जाता था।

विभिन्न विद्वानों द्वारा हरियाणा को दिए गए विभिन्न नाम

  • विद्वान् – नाम
  • महाराज कृष्ण हरना – (लूटपाट)
  • राहुल सांकृत्यायन- हरिधानक्या
  • डॉ. युद्ध प्रकाश – अभिरयाणा
  • डॉ. एच आर गुप्ता – आर्यना (आर्यों का घर)
  • जो सी अवस्थी – ऋग्वेद से उत्पन्न
  • यदुनाथ सरकार – हरियाल
  • ऋग्वेद में उल्लिखित नाम – रज हरयाणे
  • बाणभटट रचित हर्षचरित में – श्रीकण्ड जनपद
  • पुष्पदन्त रचित महापुराण में हरियाणा

हरियाणा राज्य की स्थापना कैसे हुई?

  • 15 अगस्त 1947 को जब भारत अंग्रेजी हुकूमत की लगभग 200 सालों की दास्तां से आजाद हुआ तब हरियाणा पंजाब प्रांत का हिस्सा था। 1949 में पंजाब के मुख्यमंत्री भीमसेन सच्चर के शासनकाल में पंजाब प्रांत के भाषा के प्रशन पर विरोध उत्पन्न हो गया।
  • हिंदी भाषी क्षेत्रों में पंजाबी बढ़ाने का विरोध हुआ परिणाम स्वरूप इस समस्या के समाधान हेतु एक फार्मूला बनाया गया जिसे सच्चर फार्मूला कहा गया।
  • 1 अक्टूबर 1949 को सच्चर फार्मूले को लागू कर दिया गया इस फार्मूले के अनुसार पंजाब को दो क्षेत्रों में बांट दिया गया।
    1.पंजाबी क्षेत्र
    2. हिंदी क्षेत्र
  • 1955 में प्रदेश की सीमा निर्धारित करने हेतु रोहतक आए आयोग के समक्ष हरियाणा के कांग्रेस विधायकों ने पृथक हरियाणा राज्य की मांग रखी। पंजाब के प्रताप सिंह कैरों के शासनकाल (1956-64) के दौरान ही पृथक हरियाणा राज्य की मांग उठने लगी।
  • सन 1948 में अचानक मास्टर तारा सिंह ने अपने पत्र अजीत में पंजाबी सूबा से भी एक कदम आगे सिख राज्य की मांग की। कम्युनिस्ट पार्टी पेप्सू ने अकाली दल की मांग का मखौल उड़ाते हुए पंजाबी सूबे की बात उठाई जो काफी लोगों को पसंद आई।
  • 29 दिसंबर 1953 में भारत सरकार ने भाषा तथा संस्कृति के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने हेतु सैयद फजल अली की अध्यक्षता में फजल अली आयोग का गठन किया गया।
  • भारतीय संविधान में संशोधन (17 वा संसोधन 1956 )होने के पश्चात राष्टपति की आज्ञा से 24 जुलाई 1956 को पंजाब सरकार ने उक्त क्षेत्रीय फार्मूला राज्य में लागू कर दिया। लेकिन 1957 में प्रताप सिंह कैरों ने जो उस समय मुख्यमंत्री बन गए थे।
  • इस योजना को पूरी तरह सफल होने के अवसर नहीं दिए फलतः क्षेत्रीय योजना असफल हो गई। 23 सितंबर 1965 को लोगों के दबाव में सरकार ने विभाजन के लिए सरदार हुकुम सिंह की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया।
  • इस कमेटी के फैसले को सही मानते हुए भारत के गृह राज्य मंत्री ने संसद के दोनों सदनों में पंजाब के पुनर्गठन के संबंध में संसदीय समिति के गठन संबंधी निर्णय की घोषणा कर दी।
  • हुकुम सिंह कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए सरकार ने 23 अप्रैल 1966 को जे. सी. शाह की अध्यक्षता में एक सीमा आयोग का गठन किया। आयोग की संस्तुति के अनुसार “पंजाब पुनर्गठन विधेयक” 1966 को लोक सभा द्वारा 18 सितंबर 1966 को पारित कर दिया गया तथा 1 नवंबर 1966 को एक पथक हरियाणा राज्य के रूप में हरियाणा की स्थापना हुई। इस प्रकार लंबे संघर्ष के बाद हरियाणा का देश के 17 वें राज्य के रूप में 1 नवंबर 1966 को जन्म हुआ

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