- हरियाणा की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि के बाद पशुपालन ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की आय का दूसरा प्रमुख स्रोत है। राज्य के अधिकतम किसान गाय व भैंस पालते है। प्रदेश की मुर्रा नस्ल की भैसें सारे भारत में प्रसिद्ध हैं।
राज्य में पशुपालन
- वर्तमान मे राज्य में कुल पशुधन की संख्या 90.60 लाख है, जिसमें से 15.5 लाख मवेशी तथा 59.33 लाख भैंस हैं।
- राज्य में औसतन प्रत्येक तीन गाँव पर एक पशु चिकित्सा केन्द्र की व्यवस्था की गई है।
- वर्ष 2012-13 में प्रतिदिन प्रतिव्यक्ति औसत दुग्ध उपलब्धता 743 ग्राम रही, जो देश में दूसरा सर्वाधिक है। मुर्रा भैंसों को हरियाणा में कला सोना कहा जाता है
पशुपालन के विकास हेतु सरकार के प्रयास
- प्रति पशु उत्पादकता में वृद्धि हेतु बांझ मुक्त पशुधन कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है।
- वर्ष 2010-11 में दो पालिक्लीनिकों का निर्माण सोनीपत तथा भिवानी में किया गया है। दो अन्य का सिरसा एवं रोहतक मे किया जाएगा।
- पंचकूला में एक पालतू पशु चिकित्सा केन्द्र एवं प्रशिक्षण चिकित्सालय की स्थापना की जा रही।
- राज्य के 15 जिलों में पशु बीमा योजना लागू की गई है।
- पशुधन के विकास के लिए हरियाणा पशुधन बोर्ड का गठन 2007 – 08 किया गया है।
- राज्य में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तम पशु चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करने तथा विभिन्न संक्रामक एवं असंक्रामक रोगो की रोकथाम के लिए 39 नए पशु अस्पताल, 32 नए पशु औषधालय खोले और 27 औषधालय के स्तर में वृद्धि करके उन्हें पशु अस्पताल का दर्जा दिया गया है। राज्य सरकार ने 5 किमी के दायरे में पशु संस्थान स्थापित करके पशु संस्थान तंत्र का विस्तार करने का निर्णय तिया है।
- राज्य में भेडों के विकास एवं ऊन उत्पादन के लिए केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड जोधपुर द्वारा 6 परियोजनाएँ आरम्भ की गई है।
- पशुधन विकास बोर्ड द्वारा अश्व जाति के के उत्थान के लिए एक नई उप-परिपोजना अश्व उत्पादन केन्द्र हिसार में स्थापित की गई है।
- राज्य में महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा हरियाणा महिला डेरी परियोजना शुरू की गई है।
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पशु पालकों को पशुओं के संबंध मे 24 घण्टे जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए पशुधन विकास वाहिनी नामक योजना शुरू की गयी है। - राज्य सरकार द्वारा 7 नए पशु चिकित्सालय व प्रजनन केन्द्र तथा 14 नए पशु औषधालय खोले गए है। इसके अतिरिक्त 18 पशु संस्थाओं के स्तर में वृद्धि करके उन्हें पशु चिकितशालय एवं प्रजनन केन्द्र का दर्जा दिया गया है और 30 पशु चिकित्सालय एवं प्रजनन केंद्रों तथा 200 पशु औषधालयों के लिए स्टाफ की स्वीकृति भी प्रदान की गयी है।
- राज्य मे पशु बीमा योजना के तहत 12 किग्रा से अधिक दूध देने वाले दुधारु पशुओं का बीमा किया जा रहा है। बैलों का बीमा भी किया जा रहा हरियाणा को दूध-दही के प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है।
- भैंसों की संख्या 59.33 लाख बकरियों की 5.38 लाख तथा कुककुट पालन 2 .87 करोड़ है।
मुख्य तथ्य
- में पशु अस्पताल लगभग 942 है।
- हरियाणा में दुग्ध उत्पादन 70.40 (2012-13) लाख टन है।
- राज्य में सालाना अंडों का उत्पादन 42343 लाख है।
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