प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics)
Plate Tectonic Theory In Hindi
- 1960 के दशक के अनेक पुराचुम्बकीय, भूकम्पीय सर्वेक्षणों एवं सागर नितल प्रसरण सम्बन्धी अनुसंधानों के आधार पर महाद्वीपों व महासागरों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त का प्रतिपादन हुआ । सागर नितल प्रसरण सिद्धान्त के जनक हैरी हैस (1960) को माना जाता है।
प्लेट :
- सर्वप्रथम शब्द का प्रयोग टूजो विल्सन (Tuzo Willson) ने पृथ्वी की बाहरी परत के लिए किया है। यह परत क्रस्ट (Crust) एवं ऊपरी मेन्टल (Upper Mantle) की सम्मिलित इकाई है जो ‘स्थल मण्डल’ (Lithosphere) के नाम से जानी जाती है। इसकी मोटाई 100 किमी व विस्तार महाद्वीप एवं महासागर दोनो पर है । यह बाहरी परत कठोर, पतली, भंगूर व उल्टी सूप प्लेट के समान है ।
- सिद्धान्त के अनुसार समस्त स्थल मण्डल 6 बड़ी व संभवतः 20 छोटी प्लेटों में विभक्त है जो कि निर्बलतामण्डल पर सतत रूप से एक दूसरे के संदर्भ में गतिशील होते हुए अभिसरित, अपसरित व रगड़ खाती है जिससे भूकम्प, ज्वालामुखी एवं गर्त जनन जैसी विवर्तनिक क्रियाएँ होती है। प्लेटो के इस सम्पूर्ण गतिक्रम को प्लेट विवर्तनिक कहते हैं ।
प्रमुख प्लेटें (Major Plates ) –
प्लेटों की संख्या के बारे में विद्वान एक मत नहीं है, फिर भी मार्गन ने सम्पूर्ण स्थल मण्डल को 6 बड़ी व 20 छोटी प्लेटों में विभाजित किया है। प्रमुख बड़ी प्लेट निम्नलिखित है (चित्र सं. 5.6 ) –
1. इण्डो-ऑस्ट्रेलियन प्लेट (Indo-Australian Plate): इस प्लेट के अन्तर्गत भारतीय उपमहाद्वीप व आस्ट्रेलिया की स्थलीय पर्पटी तथा हिन्दमहासागर एवं प्रशान्त महासागर की दक्षिणी-पश्चिमी महासागरीय पर्पटी सम्मिलित है।
2. यूरेशियन प्लेट ( Eurasian Plate): यह एकमात्र ऐसी प्लेट है जो अधिकांशतः महाद्वीपीय पर्पटी से निर्मित हैं । यह | प्लेट पश्चिम में मध्य अटलाण्टिक कटक दक्षिण में आलप्स-हिमालय पर्वतीय क्रम एवं पूर्व में द्वीपीय चापों तक फैली हुई है ।
3. अफ्रीकी प्लेट ( African Plate ) : यह एक मिश्रित महाद्वीपीय व महासागरीय प्लेट है । इसका विस्तार पूर्व में भारतीय दक्षिण में अण्टार्कटिका, पश्चिम में मध्य अटलाण्टिक कटक व उत्तर में यूरेशियन प्लेट तक है ।
4. अमेरिकी प्लेट (American Plate ) : इसके अन्तर्गत उत्तरी व दक्षिणी अमेरिका की महाद्वीपीय पर्पटी एवं पूर्व की ओर मध्य अटलाण्टिक कटक तक फैली महासागरीय पर्पटी सम्मिलित है। यह प्लेट अमेरिकी महाद्वीपों के पश्चिमी तट तक विस्तृत है एवं प्रशान्त महासागरीय प्लेट से मिलती है। यह प्लेट एक इकाई के रूप में पश्चिम की ओर गतिमान है, इसके परिणामस्वरूप अमेरिकी महाद्वीपों के पूर्वी किनारों पर कोई विवर्तनिकी हलचलें नहीं होती ।
5. प्रशान्त प्लेट (Pacific Plate) : पूर्वी प्रशान्त कटक (East Pacific Rise) से पश्चिम की ओर सम्पूर्ण प्रशान्त महासागर पर फैली यह एकमात्र ऐसी प्लेट है जो पूर्णरूप से महासागरीय पर्पटी से निर्मित है।
6. अण्टार्कटिक प्लेट (Antarctica Plate): अण्टार्कटिक प्लेट का अधिकांश भाग हिमाच्छादित है। यह प्लेट अण्टार्कटिक महाद्वीप के चारों ओर मध्य महासागरीय है कटकों तक विस्तृत है ।
प्लेटों के प्रकारः
- संरचना के आधार पर प्लेटे तीन प्रकार की होती हैं –
1. महाद्वीपीय प्लेट : जिस प्लेट का सम्पूर्ण या अधिकांश भाग स्थली हो, वह महाद्वीपीय प्लेट कहलाती है ।
2. महासागरीय प्लेट: जिस प्लेट का सम्पूर्ण या अधिकांश भाग महासागरीय तली के अन्तर्गत होता है वह महासागरीय प्लेट कहलाती है।
3. महासागरीय – महाद्वीपीय प्लेट: जिस प्लेट पर महाद्वीप व महासागरीय तली दोनों का विस्तार होता है ।
प्लेट किनारे (Plate Margins) –
भू-गर्भ की सारी विवर्तनिक क्रियाऐं इन प्लेटों के किनारों पर सम्पन्न होती है। ये प्लेट किनारे तीन प्रकार के होते है । (चित्र सं. 5.7)
1. रचनात्मक प्लेट किनारा (Constructive Plate Margins)-
1. रचनात्मक प्लेट किनारा (Constructive Plate Margins)-
- इन किनारों के सहारे दो प्लेटों का अपसरण होता है, जिससे जो रिक्त स्थान बनता है उससे मैग्मा बाहर निकलकर लावा के रूप में जमा होते रहने से वहाँ क्षेत्रीय विस्तार होता है इसलिए इन्हें रचनात्मक किनारे कहते हैं अटलाण्टिक कटक पर ऐसे ही पार्श्व मिलते हैं ।
2. विनाशात्मक किनारा (Destructive Plate Margins)
- इन किनारों के सहारे दो प्लेटों के अभिसरण के कारण एक प्लेट दूसरी के ऊपर चढ़ जाती है एवं दूसरी प्लेट का अवतलन होता है। अवतलित प्लेट का अग्रभाग टूटकर मेण्टल में प्रवेश करने पर पिघल जाता है । अतः इसे विनाशात्मक किनारा कहा जाता है। यह पिछला पदार्थ पुनः कमजोर भूपटल से बाहर निकलकर ज्वालामुखी एवं द्वितीय चाप को जन्म देता है । प्रशान्त महासागरीय प्लेट के किनारों पर द्विपीय व ज्वालामुखी श्रृंखला विस्तृत है ।
3. संरक्षी किनारा (Conservative Plate Margins)
- इन किनारों के सहारे दो प्लेटें आस-पास में सरकती है जिसमें न तो किसी प्लेट का क्षरण होता है और न ही वहाँ नये पदार्थों का सृजन होता है, केवल रूपान्तर भ्रंश का निर्माण होता है। अतः इसे संरक्षी किनारा कहते हैं । उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी भाग में सैन एण्ड्रियास भ्रंश के सहारे दो उप प्लेटों का संरक्षी किनारा ही है ।
प्लेटों में गति के कारण:
- पृथ्वी में स्थित रेडियो धर्मत्व से उत्पन्न भूतापीय ऊर्जा संवहनीय तरंगों के रूप में ऊपर उठ प्लेटों में गति उत्पन्न करते हैं। प्लेटों के एकदम नीचे संवहन तरंगों का प्रवाह उन्हें क्षैतिजीय गति देता है। मध्य महासागरीय कटकों के क्षेत्र में भीतर से मेग्मा का ऊपर आना एवं अभिसारी पार्श्व पर प्लेट का नीचे धंसकर मेंटल में पहुंचना संवहन तरंग की मुख्य गतिविधियां हैं।
प्लेट विवर्तनिकी के साक्ष्य
1. सागर नितल प्रसरण (Sea Floor Spreading )
- अपसारी पार्श्व पर दो प्लेटों के विपरीत दिशा में प्रवाह से रिक्त स्थान बनते हैं । इन रिक्त स्थानों में नीचे से संवहन क्रिया द्वारा मैग्मा ऊपर उठता है एवं यह लावा के रूप में ऊपर जमा हो जाता है जिससे नई शैलों की उत्पत्ति होती है । इस प्रक्रिया के निरन्तर चलने से नई शैल पर्पटी बनने का क्रम चलता रहता है । परिणाम स्वरूप महासागरीय तली का विस्तारण होता है । जैसे मध्य अटलाण्टिक कटक के दोनों ओर लावा बाहर निकलकर नवीन पर्पटी का निर्माण कर रहा है जिससे अटलाण्टिक महासागर का फैलाव हो रहा है । महासागरीय तली के विस्तारण से महाद्वीप व महासागरों की अस्थिरता की संकल्पना भी प्रमाणित होती है । (चित्र सं. 5.8) |
2. महाद्वीपीय विस्थापन (Continental Drift)
- पुरा चुम्बकत्व (Paleomagnetism) व सागर तलीय प्रसारण से सम्बन्धित नवीनतम खोजों से इस तथ्य को बल मिला है कि महाद्वीप व महासागरीय बेसिन कभी-भी स्थिर व स्थायी नहीं रहे हैं। इन खोजों के आधार पर अभी तक पिछले बीस करोड़ वर्ष से पूर्व की महाद्वीपीय विस्थापन से सम्बन्धित जानकारी उपलब्ध है ।
3. दरारी घाटियों का चौड़ा होना (Broadening of Rift Valleys)
- जिन प्लेट पार्श्वों पर दरार घटियाँ हैं वे चौड़ी होती जा रही है। लाल सागर व अदन की खाड़ी में विस्तरण की दर 1 सेमी प्रतिवर्ष है। कैलीफोर्निया की खाड़ी का भी विस्तारण हो रहा है।
4. अन्य प्रभाव (Other Effect)
- प्लेट विवर्तनिकी के कारण अनेक अन्य प्रभाव भी पड़े हैं जिनको इसी अध्याय में अन्य बिन्दुओं के विवरण में समझाया जा चुका है । भूकम्प की घटनाएँ, ज्वालामुखी क्रिया, पर्वत निर्माण द्वीपीय चाप (Island / Festoons) का निर्माण आदि ऐसे अन्य प्रभाव हैं ।
- इस प्रकार निष्कर्ष स्वरूप यह कहा जा सकता है कि अधिकांश भूगोलवेत्ता, भूगर्भशास्त्री तथा भूवैज्ञानिक महाद्वीपीय विस्थापन की सच्चाई को अब पुनः मानने लगे हैं। वर्तमान में विस्थापन के लिये केवल सक्षम नोदकबल (Propelling Force) विवादास्पद बिन्दु है। नवीनतम शोध अध्ययनों ने तापीय संवाहनिक धाराओं की संकल्पना की विश्वसनीयता को प्लेट विवर्तनिकी के सन्दर्भ में पुर्नजीवित किया है।
- इस प्रकार प्लेट विवर्तनिक सिद्धान्त ने वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर न केवल महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त को बल प्रदान किया वरन् इसके द्वारा भूकम्प, ज्वालामुखी क्रिया, द्वीपीय चाप की उपस्थिति आदि अन्य कई क्रियाओं का भी स्पष्टीकरण किया जा सकता है ।
महत्वपूर्ण बिन्दु –
- महाद्वीपों व महासागरों को प्रथम श्रेणी के भूआकार कहते हैं।
- वैगनर के महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धान्त का प्रमुख आधार जलवायु कटिबन्ध स्थिर रहे तथा स्थल खण्डों की स्थिति परिवर्तनशील रही है ।
- वैगनर ने सियाल रूपी महाद्वीपों को सीमा की परत पर तैरता हुआ माना ।
- समस्त महाद्वीप एक स्थलखण्ड के रूप में स्थित थे, जिसे वेगनर ने पेंजिया कहा जिसके चारों ओर पेंथालासा नामक विशाल महासागर था।
- चन्द्रमा की गुरूत्वाकर्षण शक्ति के कारण महाद्वीपों का पश्चिम की ओर विस्थापन तथा उत्प्लावन बल के कारण भूमध्य रेखा की ओर विस्थापन हुआ ।
- अटलाण्टिक तटीय साम्य, पर्वतों के संरेखण, भूगर्भिक संरचनात्मक समानता, ज्यामितीय प्रमाण, जैविक प्रमाण, पुराजीवाश्मीय एवं पुराजलवायु के प्रमाण महाद्वीप विस्थापन सिद्धान्त को प्रमाणित करते है ।
- पृथ्वी की बाहरी परत ‘स्थल मण्डल’ के लिए प्लेट शब्द का प्रयोग हुआ। प्लेटों के सम्पूर्ण गतिक्रम को प्लेट विवर्तनिक कहते हैं ।
- महाद्वीपीय व महासागरीय प्लेटें -इण्डो-ऑस्ट्रेलियन, यूरेशियन, अफ्रीकी, अमेरिकन, प्रशान्त अण्टार्कटिका प्लेटें । प्लेट विवर्तनिकी के प्रभाव / साक्ष्य – महासागरीय तली का प्रसरण, महाद्वीपीय विस्थापन, दरार घाटियों का चौड़ा होना व अन्य ।
प्लेट विवर्तनिकी (Plate Tectonics) Questions And Answers in Hindi
प्रश्न 1. पैन्जिया के चारों ओर फैला हुआ महासागर था
(अ) अटलाण्टिक
(ब) पैन्थलासा
(द) टैथीस
(स) आर्कटिक
प्रश्न 2. वैगनर के अनुसार महाद्वीपों का विस्थापन जिन दिशाओं की ओर हुआ, वे हैं
(अ) दक्षिण व उत्तर
(ब) पूर्व व भूमध्यरेखा
(द) उत्तर व पश्चिम
(स) पश्चिम व भूमध्य रेखा
प्रश्न 3. केवल प्लेट विवर्तनिकी से सम्बन्धित तथ्य है
(अ) साम्यस्थापन
(ब) पेजिया
(द) टिथीस
(स) आर्कटिक
प्रश्न 4. पेंजिया जिससे निर्मित था
(अ) सियाल
(ब) सीमा
(द) निफे
(स)सियाल एवं सीमा
प्रश्न 5. प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया
(अ) फिन्च
(ब) टूजो विल्सन
(द) वेगनरे
(स) ग्रिफिथ टेलर
(अ) अटलाण्टिक
(ब) पैन्थलासा
(द) टैथीस
(स) आर्कटिक
उत्तर ⇒ { B }
प्रश्न 2. वैगनर के अनुसार महाद्वीपों का विस्थापन जिन दिशाओं की ओर हुआ, वे हैं
(अ) दक्षिण व उत्तर
(ब) पूर्व व भूमध्यरेखा
(द) उत्तर व पश्चिम
(स) पश्चिम व भूमध्य रेखा
उत्तर ⇒ { C }
प्रश्न 3. केवल प्लेट विवर्तनिकी से सम्बन्धित तथ्य है
(अ) साम्यस्थापन
(ब) पेजिया
(द) टिथीस
(स) आर्कटिक
उत्तर ⇒ { D }
प्रश्न 4. पेंजिया जिससे निर्मित था
(अ) सियाल
(ब) सीमा
(द) निफे
(स)सियाल एवं सीमा
उत्तर ⇒ { A }
प्रश्न 5. प्लेट शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया
(अ) फिन्च
(ब) टूजो विल्सन
(द) वेगनरे
(स) ग्रिफिथ टेलर
उत्तर ⇒ { B }
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